Easy Notes-2019 BA-1 Ancient Indian History Paper - Hindi book by - Easy Notes - ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र - ईजी नोट्स
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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2011
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


प्रश्न 2 - प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विदेशी यात्रियों के विवरण प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने में हमारी किस प्रकार सहायता करते हैं ? बताइये।

उत्तर - प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों के विवरण से हमें पर्याप्त सहायता मिलती है। भारत में आने वाले विदेशी यात्रियों एवं लेखकों में से कुछ ने तो भारत में रहकर अपने स्वयं के अनुभव से इतिहास के विषय में लिखा तथा कुछ ने जनश्रुतियों एवं भारतीय ग्रन्थों को अपने विवरण का आधार बनाया। इन लेखकों में यूनानी, चीनी तथा अरबी-फारसी लेखक विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इनका विवरण निम्नवत् है -

1. यूनानी-रोमन लेखक - यूनान के प्राचीनतम लेखकों में हेरोडोटस का नाम प्रसिद्ध है। उसने अपनी पुस्तक 'हिस्टोरिका' (Historica) में पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व के भारत-फारस के सम्बन्ध का वर्णन किया है। परन्तु उसका विवरण अधिकांशतः अनुश्रुतियों तथा अफवाहों पर आधारित है। सिकन्दर के साथ आने वाले लेखकों में नियार्कस, आनेसिक्रिटस तथा आरिस्टोबुलस के विवरण अपेक्षाकृत अधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय हैं। चूँकि इन लेखकों का उद्देश्य अपनी रचनाओं के द्वारा अपने देशवासियों को भारतीयों के विषय में जानकारी देना था, अतः इनका विवरण यथार्थ है। सिकन्दर के बाद मेगस्थनीज, डाइमेकस तथा डायोनिसियस के नाम उल्लेखनीय हैं जो यूनानी शासकों द्वारा पाटलिपुत्र के मौर्य दरबार में भेजे गये थे। इनमें मेगस्थनीज सर्वाधिक प्रसिद्ध है। वह चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। उसने 'इण्डिका' (Indica) नामक पुस्तक में मौर्ययुगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है। इण्डिका भारत के सम्बन्ध में प्राप्त ज्ञानराशि में सबसे अमूल्य रत्न है। अन्य ग्रन्थों में 'पेरीप्लस ऑफ द इरिथ्रयन-सी' (Periplus of the Erythrean Sea), टालमी का भूगोल, प्लिनी का 'नेचुरल हिस्ट्री' (Natural History) आदि का भी उल्लेख किया जा सकता है। पेरीप्लस का लेखक 80 ई. के लगभग हिन्द महासाग़र की यात्रा पर आया था। उसने तत्कालीन बन्दरगाहों तथा व्यापारिक वस्तुओं का विवरण दिया है। प्राचीन भारत के समुद्री व्यापार की जानकारी के लिये उसका विवरण बहुत उपयोगी है। दूसरी शताब्दी ईस्वी में टालमी ने भारत का भूगोल लिखा था। प्लिनी का ग्रन्थ प्रथम शताब्दी ईस्वी का है। इस ग्रन्थ से भारत के प्राचीन पशुओं, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है।

2. चीनी लेखक - प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने में चीनी यात्रियों के विवरण भी विशेष उपयोगी रहे हैं। ये चीनी यात्री बौद्ध मतानुयायी थे तथा भारत में बौद्ध तीर्थ-स्थानों की यात्रा और बौद्ध धर्म के विषय में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से आये थे। इनमें चार के नाम विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं - फाहियान, सुंगयुन, ह्वेनसांग तथा इत्सिंग। फाहियान, गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' के दरबार में आया था। उसने अपने विवरण में मध्यदेश के समाज एवं संस्कृति का वर्णन किया है। सुंगयुन 518 ई. में भारत आया और उसने अपनी तीन वर्ष की यात्रा में बौद्ध ग्रन्थों की प्रतियाँ एकत्रित कीं। ह्वेनसांग हर्षवर्द्धन के शासनकाल में (629 ई. लगभग) भारत आया था। उसने 16 वर्षों तक यहाँ निवास किया और विभिन्न स्थानों की यात्रा की। उसका भ्रमण वृतान्त 'सि-यू-की' नाम से प्रसिद्ध है जिसमें 138 देशों का विवरण मिलता है। इससे हर्षकालीन भारत के समाज, धर्म तथा राजनीति पर सुन्दर प्रकाश पड़ता है। भारतीय संस्कृति के इतिहास के पुनर्सृजन में ह्वेनसांग ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इत्सिंग सातवीं शताब्दी के अन्त में भारत आया था। उसके विवरण से नालन्दा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा तत्कालीन भारत के विषय में जानकारी प्राप्त होती हैं।

3. अरबी लेखक - अरब के यात्रियों तथा लेखकों के विवरण से हमें पूर्वमध्यकालीन भारत के समाज एवं संस्कृति के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है। अरबी लेखकों में अल्बरूनी का नाम सर्वप्रसिद्ध है। गणित, विज्ञान एवं ज्योतिष के साथ ही साथ वह अरबी, फारसी एवं संस्कृत भाषाओं का भी अच्छा ज्ञाता था। वह महमूद गजनवी के साथ भारत आया था किन्तु उसका दृष्टिकोण महमूद से पूर्णतया भिन्न था और वह भारतीयों का निन्दक न होकर उनकी बौद्धिक सफलताओं का महान प्रशंसक था। भारतीय संस्कृति के अध्ययन में उसकी गहरी रुचि थी तथा गीता से वह विशेष रूप से प्रभावित हुआ। उसने भारतीयों से जो कुछ सुना उसी के आधार पर उनकी सभ्यता का विवरण प्रस्तुत कर दिया। अपनी पुस्तक 'तहकीक-ए-हिन्द' (भारत की खोज) में उसने यहाँ के निवासियों की दशा का वर्णन किया है। इससे राजपूतकालीन समाज, धर्म, रीति-रिवाज, राजनीति आदि पर सुन्दर प्रकाश पड़ता है। अल्बरूनी के अतिरिक्त अल-बिलादुरी, सुलेमान, अल-मसऊदी, हसन निजाम, फरिश्ता, निजामुद्दीन आदि मुसलमान लेखकों की कृतियों से भी प्राचीन भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।

इस प्रकार विदेशी यात्रियों के विवरण प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने में हमारी विशेष रूप से सहायता करते हैं। इन विवरणों के आधार पर हम भारत के प्राचीन इतिहास का पुननिर्माण कर सकते हैं।

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